माँ तो माँ होती है।..




दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर
मैं "निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।


बुढापे का "सहारा,, हूँ "अहसास" दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को "मखमल, पर सुला न सका ।


वो "भूखी, सो गई "बहू, के "डर, से एकबार मांगकर
मैं "सुकुन,, के "दो, निवाले उसे खिला न सका ।


नजरें उन "बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका ।
वो "दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।


जो हर "जीवनभर" "ममता, के रंग पहनाती रही मुझे
उसे "दिवाली  पर दो "जोड़ी, कपडे सिला न सका ।


"बिमार बिस्तर से उसे "शिफा, दिला न सका ।
"खर्च के डर से उसे बड़े अस्पताल, ले जा न सका ।


"माँ" के बेटा कहकर "दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
"दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।


माँ तो माँ होती हे भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसकी "दुआ" समझकर भूला देना चाहिए।


Comments